शायरी ऐ महताब
Tuesday, December 13, 2011
अदा
राज दिल में छुपाये रहते हैं
अपने आँखों से छलकने नहीं देते
क्या ज़ालिम अदा है उस हसीं की
की ज़ख्म भी देते हैं और तड़पने नहीं देते
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment