नहीं फ़िक्र किसी की तेरे आगोश में जब तक हूँ
नहीं ख्याल किसी का तेरे ख्यालों में जब तक हूँ
दिल नहीं चाहे गुजर जाए ये लम्हे मोहब्बत के
दूर तलत तेरे मेरे साथ का मंजर हो
नो कोई मुश्किल आती है, ना कोई झूठ कहता है
लाख मुसीबत में दो लफ्ज़ कहने को वक़्त निकल लेता है
अपने बातों से भले ना कहे कोई किसी को
किसी इंसान की कीमत का एहसास इसी से होता है
Mar gayi rooh-e- jindagi kab ki saanse ab talat is dil ki abhi jinda hai keh keh ke haar gaye hum zamaney se ki apni jurmo pe hum kitney sharminda hain