शायरी ऐ महताब
Thursday, January 5, 2012
एक नज़र
नूर जरा एक नज़र का मिल जाए
तेरी शोखियों का साथ मिल जाए
मैं तो फिरता रहता हूँ आवारा
तेरे साथ मिले तो आशियाना बन जाए
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