Monday, September 19, 2011

गौर करे जरा

मोहब्बत को ईमान बना सकते हैं

अपने ख्वाबों को परवान चढ़ा सकते हैं
 
अगर हो इंसान में जरा भी क़ाबलियत

वो रेगिस्तानों में गुलिस्तान बना सकते है

Sunday, September 18, 2011

ऐ सितमगर

गैरों के सितम की जरुरत कहाँ
जब हमे अपनों ने ज़ख़्म दिए हैं
हालातों की कहानी क्या बयान करे
 ज़िन्दगी ने दर्द भरे लम्हे दिए हैं

Saturday, September 17, 2011

लहरे चली जाती है

लहरे चली जाती है साहिल  से लौट कर

जज़्बात उसके  कभी मायूस नहीं होते

यूँ तो आयेंगे जिन्दी में कितने ही मेहरबान ऐ सनम

दिल की किताब पर नाम बार बार नहीं लिखे जाते

पैगाम

नहीं जरूरत मुझे किसी मैखाने की

तेरी आँखों के जाम ही काफी है

ठुकरा दूंगा में आब ऐ हयात* को

तेरे लबों की शबनम ही काफी है

* आब ऐ हयात = अमृत

नज़रों में पढ़ा

नज़रों में पढ़ा पैगाम जो दिल की नज़रों से
तेरे दर पे सनम हम दिल निसार कर गए
देखे जो जोश  औ जलवे  हुस्न ऐ यार के
जान अपनी हम  तेरे  लिए निसार कर गए

Thursday, September 15, 2011

मेरे सनम

यू तो लाख हैं सितारे पर चाँद केवल एक है
दुनिया में लाख है चेहरे लेकिन दिलबर एक है
हर दिल की बातों पे ना जाना ऐ सनम   
माशूक हैं लाखों लेकिन आशिक एक है 
 

Wednesday, September 14, 2011

जनाब जरा नज़रे इनायत करे

इंतज़ार

तनहाइयों की शायरी कर लेंगे

हम तुझ पर ऐतबार कर लेंगे

तुम यह तो कहो हम तुम्हारे है सनम

हम ज़िन्दगी भर तेरा इंतज़ार कर लेंगे

निहायत

उमीदों की शमा दिल में ना जलाना

जहाँ से अलग कायनात ना बसाना

आज बस चले आये दर पे तुम्हारी

पर इंतज़ार माय रोज़ पलके मत बिछाना

काश

हमने भी चाह हर मंजिल करीब हो

हर वक़्त साथ आप का करीब हो

पर वहां खुदा भी क्या करे

जहा इंसान खुद बदनसीब हो

अर्ज किया है

निगाहें तुम्हारी पहचान है हमारी

मुस्कराहट तुम्हारी शान है हमारी

रखना हिफाज़त से संभल खुद को

साँसे हे तुम्हारी पर जान है हमारी

अदा ऐ मोहब्बत

आँखों ने उनकी पीना सिखा दिया

उनकी शोकियों ने जीना सिखा दिया

आज ज़माने से बेजार हो गए हम

क्योकि अदाओं ने उनकी ज़माने को दीवाना बना लिया

गुरूर

अजीब फिजा है महफ़िल की , अजब नज़ारा पेश है

मौसिकी में नशे का कुछ सुरूर है

ना जाने क्या बात है जेहन में

जिसका इन हसीनों को इतना गुरूर है

एहसास

Mar gayi rooh-e- jindagi kab ki
saanse ab talat is dil ki abhi jinda hai
keh keh ke haar gaye hum zamaney se
ki apni jurmo pe hum kitney sharminda hain

एहसास मोहब्बत का

मर गयी रूह ऐ जिंदगी कब की

साँसे अब तलत इस दिल की जिन्दा है

कह कह के हार गए हम ज़माने से

की हम उनकी यादों में आज भी जिन्दा हैं

गौर फरमाएं

जहन्नुम भी यहाँ है  जन्नत भी यहाँ है
जहन्नुम भी यहाँ है  जन्नत भी यहाँ है
हर जुर्म का फैसला जहा हो

ये दुनिया वही अदालत है

अर्ज किया है

चमन में इक्तालाते रंग ओ बू से बात बनती है

चमन में इक्तालाते रंग ओ बू से बात बनती है

हामी हम है तो क्या हम है , तुम्ही तुम हो तो क्या तुम हो ..
mit gaye woh log watan ki aan par
naam jinka aaj baaki na raha
khao kasam nahi jaaye ye aazadi
khoon jiske liye paani ki tarah baha
jindagi kisi ki aankhon mein pyaar se dekhney ka naam hai
ya fir aankhon mein pyaar dekhney ka naam, Faisla aapka

क्यों ...

छिपते रहे उम्र भर एहसास अपने
इजहार करने का मौका नसीब नहीं हुआ
क्यों जज्बात जिंदा हो गए आज जेहन में
सांसे जब छोड़ चुकी है दामन किसी का