शायरी ऐ महताब
Saturday, September 17, 2011
नज़रों में पढ़ा
नज़रों में पढ़ा पैगाम जो दिल की नज़रों से
तेरे दर पे सनम हम दिल निसार कर गए
देखे जो जोश औ जलवे हुस्न ऐ यार के
जान अपनी हम तेरे लिए निसार कर गए
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