शायरी ऐ महताब
Monday, September 19, 2011
गौर करे जरा
मोहब्बत को ईमान बना सकते हैं
अपने ख्वाबों को परवान चढ़ा सकते हैं
अगर हो इंसान में जरा भी क़ाबलियत
वो रेगिस्तानों में गुलिस्तान बना सकते है
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