शायरी ऐ महताब
Tuesday, December 27, 2011
तेरे ख्वाब
दिल के गुलिस्तान में फूल जितनी हैं
तेरे ख्वाब मेरे दिल में बिखरे हैं
जाना चाहू तेरी निग़ाहों से दूर
क्या करे दिल की आदत से मजबूर हैं
Monday, December 19, 2011
उड़ान
ना फ़िक्र करो बीते लम्हों की
की कल का सूरज निकलना बाकी है
मिल जायेंगी मंजिलें आपको हमेशा
की आपके हौसलों की उड़ान बाकी है
Saturday, December 17, 2011
सितमगर
ये हाल मेरे दिल का है की
गम होकर भी कोई गम नहीं
मेरे नसीब में मरहम तो है
लेकिन किसी सितमगर का सितम नहीं
Friday, December 16, 2011
नसीब
किस्मत ने कैसी दी है मुझे दगा
के करीब कोकर भी तेरे करीब नहीं
चाहे लाख हो जाये दीदार तेरा खवाबों में
मुझे तेरी परछायां भी नसीब नहीं
Wednesday, December 14, 2011
जज्बे
नहीं फ़िक्र उम्र की के दिल का जोश जवान है
आपके इसी जज्बे को मेरा सलाम है
रहना हमेशा ऐसे ही मुस्कुराते हमेशा
की आपके कद्रदान हर पल यहाँ है
Tuesday, December 13, 2011
अदा
राज दिल में छुपाये रहते हैं
अपने आँखों से छलकने नहीं देते
क्या ज़ालिम अदा है उस हसीं की
की ज़ख्म भी देते हैं और तड़पने नहीं देते
नसीब
तदपते रहे अन्दर ही अन्दर खुद ही
की मेरी कश्ती को किनारा नसीब न हुआ
कह सके जिससे अपने गम और ख़ुशी
कोई ऐसा हमे ज़िन्दगी में नसीब न हुआ
Thursday, December 8, 2011
मोहब्बत
नहीं शौक किसी का न ख़ाहिश किसी की है
तेरी निघाहों के निघह्बन हम यहीं है
बीत जाए चाहे ये ज़माना कभी
तुम हमारे दिल में हम तेरे दिल में है
ख्याल
नहीं फ़िक्र किसी की तेरे आगोश में जब तक हूँ
नहीं ख्याल किसी का तेरे ख्यालों में जब तक हूँ
दिल नहीं चाहे गुजर जाए ये लम्हे मोहब्बत के
दूर तलत तेरे मेरे साथ का मंजर हो
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