Thursday, December 8, 2011

मोहब्बत

नहीं शौक किसी का न ख़ाहिश किसी की है
तेरी निघाहों के निघह्बन हम यहीं है
बीत जाए चाहे ये ज़माना कभी
तुम हमारे दिल में हम तेरे दिल में है

No comments:

Post a Comment