शायरी ऐ महताब
Friday, October 14, 2011
अफसाने
वो चले गए जाने किस सफ़र पर
मेरा साथ छोड़ के जिंदगी के दरमियान
के बयान भी ना कर सके हम उनसे
अपने दिल में बसे मोहब्बत के अफसाने
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