शायरी ऐ महताब
Monday, October 10, 2011
मोहब्बत
वोह महफ़िल ही क्या जहाँ तेरा जिक्र न हो
वो आँखे ही क्या जिसमे तेरी तस्वीर न हो
कहने को लाखों है खूबसूरत चेहरे ज़माने में
लेकिन वोह दिल ही क्या जिसमे तेरी मोहब्बत ना हो
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