Monday, October 10, 2011

मोहब्बत

वोह महफ़िल ही क्या जहाँ  तेरा जिक्र न हो

वो आँखे ही क्या जिसमे तेरी  तस्वीर न  हो

कहने  को  लाखों है खूबसूरत चेहरे ज़माने में

लेकिन वोह दिल ही क्या जिसमे तेरी मोहब्बत ना हो

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