शायरी ऐ महताब
Monday, October 31, 2011
तकदीर
चाहते तो थे उनका दीदार शुभओ शाम करना
लेकिन हमारी याद भी उनके दिल के करीब नहीं
चाहा था की मेरे ज़नाजे पे चढ़ाए वोह फूल
मेरे नसीब में तो उनकी नफरत भी नसीब नहीं
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment