शायरी ऐ महताब
Tuesday, November 22, 2011
नसीब
नसीब से गरीब
दिल
का अमीर था
चाह के तड़पना मेरा नसीब था
चाह कर भी कुछ कर न सके हम
प्यासे तडपते
रहे हम
और पानी
करीब था
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