Thursday, November 17, 2011

परवान

अभी आये महफ़िल में आप मेरे हुज़ूर
जरा माहोल को शायराना तो हनी दीजिये   
जल्दबाजी ठीक नहीं इज़हार ऐ इश्क में
ज़रा मोहब्बत को परवान तो चढ़ने दीजिये
 

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